सिएटल – किसी भी अन्य महाद्वीप की तुलना में अफ़्रीका के सकल घरेलू उत्पाद में अब तेज़ी से वृद्धि हो रही है। बहुत से लोग जब इस विकास को सफल बनानेवाले कारणों पर विचार करते हैं तो वे तेल, सोना, और कोको जैसी वस्तुओं, या शायद बैंकिंग और दूरसंचार जैसे उद्योगों के बारे में सोचते हैं। मेरे मन में जॉयस सैंडिर नाम की महिला का नाम आता है।
जॉयस एक किसान है जो ग्रामीण तंज़ानिया में भूमि के एक छोटे से टुकड़े पर केले, सब्ज़ियाँ, और मक्का उगाती है। जब मैं 2012 में उससे पहली बार मिली थी तो उसने विशेष रूप से तंज़ानिया की जलवायु के लिए अनुकूलित एक बीज से उगाई गई मक्का की अपनी पहली फसल की खेती की थी। ख़राब फसल वाले वर्ष के दौरान जॉयस की बहुत-सी सब्ज़ियाँ ख़राब होकर नष्ट हो गई थीं, पर उसकी मक्का की फसल लहलहा रही थी। उसके बिना, उसके परिवार के लिए शायद भूखे रहने का ख़तरा हो सकता था। इसके बजाय, मक्का की फसल से यह सुनिश्चित हो सका कि जॉयस के परिवार के पास खाने के लिए पर्याप्त अन्न हो - और साथ ही जॉयस को इतनी पर्याप्त अतिरिक्त आय भी हो कि उसके बच्चों की स्कूल की फ़ीस भरी जा सके।
जैसा कि जॉयस की इस कहानी से पता चलता है, कृषि अफ़्रीका के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अफ़्रीका की श्रमिक जनसंख्या में 70% किसान हैं। वे इसकी अर्थव्यवस्था की नींव हैं, और व्यापक विकास को गति देने में इनकी प्रमुख भूमिका है। अनुसंधान से पता चलता है कि कृषि उत्पादकता में वृद्धि करना उप-मरुस्थलीय अफ़्रीका में ग़रीबी को दूर करने का सबसे अधिक कारगर उपाय है।
वास्तव में, इस महाद्वीप में कृषि ग़रीबी के कुचक्र को विकास के सुचक्र में बदलने का एक सुनहरा मौका उपलब्ध करती है। यही कारण है कि इस पूरे महाद्वीप के नेताओं और नीति-निर्माताओं ने वर्ष 2014 को अफ़्रीका का कृषि और खाद्य सुरक्षा वर्ष घोषित किया है।
जॉयस की कहानी एक अन्य कारण से भी प्रासंगिक है। वह अफ़्रीका के भविष्य के लिए न केवल इसलिए महत्वपूर्ण है कि वह एक किसान है बल्कि इसलिए भी कि वह एक महिला है।
गेट्स फ़ाउंडेशन में मैं अपना काफी समय उन बहुत-से तरीकों को समझने में लगाती हूँ जिनसे महिलाएँ और बालिकाएँ विकास कार्य को आगे बढ़ाती हैं: अपने बच्चों के पोषण, बुनियादी स्वास्थ्य और शिक्षा में निवेश करके - तथा कृषि श्रम उपलब्ध करके भी। अब मैं जो समझ पा रही हूँ वह यह है कि अगर अफ़्रीका किसी कृषि क्रांति की उम्मीद करता है तो इसके देशों को पहले एक मुख्य रुकावट, अर्थात व्यापक लैंगिक अंतर को दूर करना होगा जिसके कारण यह क्षेत्र पिछड़ा हुआ है।
Secure your copy of PS Quarterly: The Year Ahead 2025
Our annual flagship magazine, PS Quarterly: The Year Ahead 2025, has arrived. To gain digital access to all of the magazine’s content, and receive your print copy, subscribe to PS Digital Plus now.
Subscribe Now
यह अंतर महिला किसानों की संख्या का नहीं है। वास्तव में, अफ़्रीका के किसानों में लगभग आधी संख्या महिलाओं की है। यह अंतर उत्पादकता का है। पूरे महाद्वीप में, महिलाओं द्वारा नियंत्रित खेतों में पुरुषों द्वारा नियंत्रित खेतों की तुलना में प्रति हेक्टेयर कम उपज होती है।
इस लैंगिक अंतर के प्रमाण दुनिया को 2011 से ही मिलने शुरू हो गए थे, लेकिन इसकी व्याप्ति, स्वरूप, और कारणों के बारे में आँकड़े केवल सीमित रूप से उपलब्ध थे। हम इस समस्या को ठीक तरह से समझ सकें, इसके लिए विश्व बैंक और ONE अभियान ने हाल ही में महिला किसानों के सामने आनेवाली चुनौतियों का एक अभूतपूर्व विश्लेषण किया।
उनकी रिपोर्ट में आरंभ से ही एक कठोर तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है: लैंगिक अंतर वास्तविक है, और कुछ मामलों में यह बहुत अधिक है। जब हम समान परिस्थितियों में समान भूमि आकारों वाले पुरुष और महिला किसानों की तुलना करते हैं तो उत्पादकता अंतराल 66% जितना अधिक पाते हैं, जैसा कि नाइजर के मामले में है।
इससे पूर्व, विशेषज्ञों का यह मानना था कि महिलाओं के खेतों में उपज इसलिए कम होती है कि महिलाओं की उर्वरकों, जल और यहाँ तक कि सूचना जैसी निविष्टियों तक पहुँच कम होती है। लेकिन अब हम यह जानते हैं कि यह मामला इससे कहीं अधिक पेचीदा है। अब चूँकि नए डेटा उपलब्ध हो गए हैं, हम देख सकते हैं कि आश्चर्यजनक बात यह है कि महिलाओं की निविष्टियों तक पहुँच समान होने पर भी उत्पादकता का अंतर बना हुआ है। इसके वास्तविक कारण अलग-अलग देशों में अलग-अलग हो सकते हैं - परंतु अधिकतर कारणों के मूल में कठोर सांस्कृतिक मानदंड हैं जो महिलाओं को उनकी पूर्ण अंतर्निहित शक्ति तक नहीं पहुँचने देते।
उदाहरण के लिए, रिपोर्ट से यह पता चलता है कि महिलाओं को अपने खेतों में अधिक उपज पैदा करने के लिए जिस श्रम की ज़रूरत होती है उसे जुटाने में उन्हें कई अड़चनों का सामना करना पड़ता है। महिलाओं पर पुरुषों की तुलना में आम तौर पर बच्चों की देखभाल और परिवार की जिम्मेदारियाँ अधिक होती हैं जिसके फलस्वरूप उनके लिए खेती के काम के लिए उतना समय दे पाना, या भाड़े पर लिए गए मज़दूरों की देखरेख करना भी कठिन होता है। यह समस्या इस कारण और भी जटिल हो जाती है क्योंकि सबसे पहली बात तो यह है कि संभवतः महिलाओं के पास मज़दूर भाड़े पर लेने के लिए आय भी कम होती है।
सौभाग्यवश, नए डेटा में न केवल इस समस्या की जटिलता और गहनता का आकलन किया गया है; बल्कि उनमें ऐसी लैंगिक-प्रतिक्रियात्मक नीतियाँ बनाने के लिए ठोस अवसरों के बारे में भी बताया गया है जिनसे अफ़्रीका के सभी किसानों की उम्मीदों को फलीभूत करने में मदद मिलेगी।
कुछ स्थानों पर इसका अर्थ यह होगा कि कृषि विस्तार कार्यकर्ताओं को इस बारे में शिक्षित किया जाए कि वे अपने संदेशों को महिला सहभागियों के लिए किस प्रकार अधिक प्रासंगिक बना सकते हैं या उन्हें प्रोत्साहित किया जाए कि वे ऐसे समय पर जाएँ जब महिलाओं के घर पर होने की अधिक संभावना हो। अन्य स्थानों पर इसका अर्थ यह होगा कि महिलाओं की बाज़ारों तक पहुँच को बढ़ाया जाए, अथवा उन्हें अपनी भूमि से अधिकतम उपज प्राप्त करने में मदद करने के लिए श्रम की बचत करनेवाले उपकरण उपलब्ध किए जाएँ।
इसके लिए सामुदायिक शिशु देखभाल केंद्र स्थापित करने की भी आवश्यकता हो सकती है ताकि महिला किसानों को खेती करने में अधिक समय लगाने का विकल्प मिल सके। हर मामले में, इसके लिए यह ज़रूरी होगा कि अफ़्रीकी नीति-निर्माता महिला किसानों को आवश्यक आर्थिक भागीदार के रूप में मानना शुरू कर दें जो कि वे हैं।
इस वर्ष जून में, अगले दशक के लिए कृषि नीति का कार्यक्रम निर्धारित करने के लिए पूरे अफ़्रीका के नेताओं की मालाबो, इक्वेटोरियल गिनी में एक बैठक होगी। यदि अफ़्रीका के कृषि क्षेत्र को अपना वायदा पूरा करना है - और यदि अफ़्रीका के आर्थिक विकास को जारी रखना है - तो नीति-निर्माताओं को जॉयस जैसे किसानों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखना होगा। उसकी कहानी सफलता की एक ऐसी कहानी है जिसे पूरे महाद्वीप में दुहराया जा सकता है - और अवश्य दुहराया जाना चाहिए।
To have unlimited access to our content including in-depth commentaries, book reviews, exclusive interviews, PS OnPoint and PS The Big Picture, please subscribe
Though Donald Trump attracted more support than ever from working-class voters in the 2024 US presidential election, he has long embraced an agenda that benefits the wealthiest Americans above all. During his second term, however, Trump seems committed not just to serving America’s ultra-rich, but to letting them wield state power themselves.
The reputation of China's longest-serving premier has fared far better than that of the Maoist regime he faithfully served. Zhou's political survival skills enabled him to survive many purges, and even to steer Mao away from potential disasters, but he could not escape the Chairman's cruelty, even at the end of his life.
reflects on the complicated life and legacy of the renowned diplomat who was Mao Zedong’s dutiful lieutenant.
सिएटल – किसी भी अन्य महाद्वीप की तुलना में अफ़्रीका के सकल घरेलू उत्पाद में अब तेज़ी से वृद्धि हो रही है। बहुत से लोग जब इस विकास को सफल बनानेवाले कारणों पर विचार करते हैं तो वे तेल, सोना, और कोको जैसी वस्तुओं, या शायद बैंकिंग और दूरसंचार जैसे उद्योगों के बारे में सोचते हैं। मेरे मन में जॉयस सैंडिर नाम की महिला का नाम आता है।
जॉयस एक किसान है जो ग्रामीण तंज़ानिया में भूमि के एक छोटे से टुकड़े पर केले, सब्ज़ियाँ, और मक्का उगाती है। जब मैं 2012 में उससे पहली बार मिली थी तो उसने विशेष रूप से तंज़ानिया की जलवायु के लिए अनुकूलित एक बीज से उगाई गई मक्का की अपनी पहली फसल की खेती की थी। ख़राब फसल वाले वर्ष के दौरान जॉयस की बहुत-सी सब्ज़ियाँ ख़राब होकर नष्ट हो गई थीं, पर उसकी मक्का की फसल लहलहा रही थी। उसके बिना, उसके परिवार के लिए शायद भूखे रहने का ख़तरा हो सकता था। इसके बजाय, मक्का की फसल से यह सुनिश्चित हो सका कि जॉयस के परिवार के पास खाने के लिए पर्याप्त अन्न हो - और साथ ही जॉयस को इतनी पर्याप्त अतिरिक्त आय भी हो कि उसके बच्चों की स्कूल की फ़ीस भरी जा सके।
जैसा कि जॉयस की इस कहानी से पता चलता है, कृषि अफ़्रीका के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अफ़्रीका की श्रमिक जनसंख्या में 70% किसान हैं। वे इसकी अर्थव्यवस्था की नींव हैं, और व्यापक विकास को गति देने में इनकी प्रमुख भूमिका है। अनुसंधान से पता चलता है कि कृषि उत्पादकता में वृद्धि करना उप-मरुस्थलीय अफ़्रीका में ग़रीबी को दूर करने का सबसे अधिक कारगर उपाय है।
वास्तव में, इस महाद्वीप में कृषि ग़रीबी के कुचक्र को विकास के सुचक्र में बदलने का एक सुनहरा मौका उपलब्ध करती है। यही कारण है कि इस पूरे महाद्वीप के नेताओं और नीति-निर्माताओं ने वर्ष 2014 को अफ़्रीका का कृषि और खाद्य सुरक्षा वर्ष घोषित किया है।
जॉयस की कहानी एक अन्य कारण से भी प्रासंगिक है। वह अफ़्रीका के भविष्य के लिए न केवल इसलिए महत्वपूर्ण है कि वह एक किसान है बल्कि इसलिए भी कि वह एक महिला है।
गेट्स फ़ाउंडेशन में मैं अपना काफी समय उन बहुत-से तरीकों को समझने में लगाती हूँ जिनसे महिलाएँ और बालिकाएँ विकास कार्य को आगे बढ़ाती हैं: अपने बच्चों के पोषण, बुनियादी स्वास्थ्य और शिक्षा में निवेश करके - तथा कृषि श्रम उपलब्ध करके भी। अब मैं जो समझ पा रही हूँ वह यह है कि अगर अफ़्रीका किसी कृषि क्रांति की उम्मीद करता है तो इसके देशों को पहले एक मुख्य रुकावट, अर्थात व्यापक लैंगिक अंतर को दूर करना होगा जिसके कारण यह क्षेत्र पिछड़ा हुआ है।
Secure your copy of PS Quarterly: The Year Ahead 2025
Our annual flagship magazine, PS Quarterly: The Year Ahead 2025, has arrived. To gain digital access to all of the magazine’s content, and receive your print copy, subscribe to PS Digital Plus now.
Subscribe Now
यह अंतर महिला किसानों की संख्या का नहीं है। वास्तव में, अफ़्रीका के किसानों में लगभग आधी संख्या महिलाओं की है। यह अंतर उत्पादकता का है। पूरे महाद्वीप में, महिलाओं द्वारा नियंत्रित खेतों में पुरुषों द्वारा नियंत्रित खेतों की तुलना में प्रति हेक्टेयर कम उपज होती है।
इस लैंगिक अंतर के प्रमाण दुनिया को 2011 से ही मिलने शुरू हो गए थे, लेकिन इसकी व्याप्ति, स्वरूप, और कारणों के बारे में आँकड़े केवल सीमित रूप से उपलब्ध थे। हम इस समस्या को ठीक तरह से समझ सकें, इसके लिए विश्व बैंक और ONE अभियान ने हाल ही में महिला किसानों के सामने आनेवाली चुनौतियों का एक अभूतपूर्व विश्लेषण किया।
उनकी रिपोर्ट में आरंभ से ही एक कठोर तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है: लैंगिक अंतर वास्तविक है, और कुछ मामलों में यह बहुत अधिक है। जब हम समान परिस्थितियों में समान भूमि आकारों वाले पुरुष और महिला किसानों की तुलना करते हैं तो उत्पादकता अंतराल 66% जितना अधिक पाते हैं, जैसा कि नाइजर के मामले में है।
इससे पूर्व, विशेषज्ञों का यह मानना था कि महिलाओं के खेतों में उपज इसलिए कम होती है कि महिलाओं की उर्वरकों, जल और यहाँ तक कि सूचना जैसी निविष्टियों तक पहुँच कम होती है। लेकिन अब हम यह जानते हैं कि यह मामला इससे कहीं अधिक पेचीदा है। अब चूँकि नए डेटा उपलब्ध हो गए हैं, हम देख सकते हैं कि आश्चर्यजनक बात यह है कि महिलाओं की निविष्टियों तक पहुँच समान होने पर भी उत्पादकता का अंतर बना हुआ है। इसके वास्तविक कारण अलग-अलग देशों में अलग-अलग हो सकते हैं - परंतु अधिकतर कारणों के मूल में कठोर सांस्कृतिक मानदंड हैं जो महिलाओं को उनकी पूर्ण अंतर्निहित शक्ति तक नहीं पहुँचने देते।
उदाहरण के लिए, रिपोर्ट से यह पता चलता है कि महिलाओं को अपने खेतों में अधिक उपज पैदा करने के लिए जिस श्रम की ज़रूरत होती है उसे जुटाने में उन्हें कई अड़चनों का सामना करना पड़ता है। महिलाओं पर पुरुषों की तुलना में आम तौर पर बच्चों की देखभाल और परिवार की जिम्मेदारियाँ अधिक होती हैं जिसके फलस्वरूप उनके लिए खेती के काम के लिए उतना समय दे पाना, या भाड़े पर लिए गए मज़दूरों की देखरेख करना भी कठिन होता है। यह समस्या इस कारण और भी जटिल हो जाती है क्योंकि सबसे पहली बात तो यह है कि संभवतः महिलाओं के पास मज़दूर भाड़े पर लेने के लिए आय भी कम होती है।
सौभाग्यवश, नए डेटा में न केवल इस समस्या की जटिलता और गहनता का आकलन किया गया है; बल्कि उनमें ऐसी लैंगिक-प्रतिक्रियात्मक नीतियाँ बनाने के लिए ठोस अवसरों के बारे में भी बताया गया है जिनसे अफ़्रीका के सभी किसानों की उम्मीदों को फलीभूत करने में मदद मिलेगी।
कुछ स्थानों पर इसका अर्थ यह होगा कि कृषि विस्तार कार्यकर्ताओं को इस बारे में शिक्षित किया जाए कि वे अपने संदेशों को महिला सहभागियों के लिए किस प्रकार अधिक प्रासंगिक बना सकते हैं या उन्हें प्रोत्साहित किया जाए कि वे ऐसे समय पर जाएँ जब महिलाओं के घर पर होने की अधिक संभावना हो। अन्य स्थानों पर इसका अर्थ यह होगा कि महिलाओं की बाज़ारों तक पहुँच को बढ़ाया जाए, अथवा उन्हें अपनी भूमि से अधिकतम उपज प्राप्त करने में मदद करने के लिए श्रम की बचत करनेवाले उपकरण उपलब्ध किए जाएँ।
इसके लिए सामुदायिक शिशु देखभाल केंद्र स्थापित करने की भी आवश्यकता हो सकती है ताकि महिला किसानों को खेती करने में अधिक समय लगाने का विकल्प मिल सके। हर मामले में, इसके लिए यह ज़रूरी होगा कि अफ़्रीकी नीति-निर्माता महिला किसानों को आवश्यक आर्थिक भागीदार के रूप में मानना शुरू कर दें जो कि वे हैं।
इस वर्ष जून में, अगले दशक के लिए कृषि नीति का कार्यक्रम निर्धारित करने के लिए पूरे अफ़्रीका के नेताओं की मालाबो, इक्वेटोरियल गिनी में एक बैठक होगी। यदि अफ़्रीका के कृषि क्षेत्र को अपना वायदा पूरा करना है - और यदि अफ़्रीका के आर्थिक विकास को जारी रखना है - तो नीति-निर्माताओं को जॉयस जैसे किसानों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखना होगा। उसकी कहानी सफलता की एक ऐसी कहानी है जिसे पूरे महाद्वीप में दुहराया जा सकता है - और अवश्य दुहराया जाना चाहिए।